करवा चौथ का महत्व क्या है हिन्दू धर्म में ?
करवा चौथ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सनातन धर्म में करवा चौथ के पर्व का विशेष महत्व है।यह मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मनाती हैं। करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है, करवा मतलब मिट्टी का बर्तन और चौथ मतलब चतुर्थी। इस व्रत में मिट्टी का बहुत अधिक महत्व होता है। महिलाएं इस त्यौहार को बहुत धूम-धाम से मानतीं है। इस दिन वो अपने पति के लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखतीं हैं। विधि-विधान से पूजा को सम्पन करतीं हैं।
करवाचौथ का व्रत क्यों किया जाता है ?
विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लम्बी उम्र, पति-पत्नी के बिच अच्छे प्रेम सम्बन्ध , खुशहाल और अन्य कई महोकामनाओं के लिए इस व्रत को करतीं हैं जैसे :
1. पति की लंबी उम्र की कामना: इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे दिनभर पानी और भोजन नहीं करतीं। यह व्रत महिलाएं
इसलिए रखतीं हैं ताकि उनके पति की लंबी उम्र हो और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहे और वे सुख शांति से जीवन जियें।
2. समर्पण और प्रेम का प्रतीक: करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपने पति के प्रति अपने प्रेम
और समर्पण को प्रकट करती हैं और ईश्वर से उनकी रक्षा और स्वास्थ्य की कामनां करती हैं।
3. पौराणिक कथाएं : करवा चौथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं, जिनमें से एक कहानी यह है कि एक महिला ने अपने पति की जान बचाने के लिए
कठिन व्रत किया और उसकी श्रद्धा और विश्वास के कारण उसका पति मृत्यु के मुख से वापस आ गया। यह कथा महिलाओं को प्रेरित करती है कि वे अपने
पति की भलाई के लिए व्रत करें।
4. सांस्कृतिक परंपरा : करवा चौथ सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं नई साड़ियां पहनकर , सोलह
श्रृंगार करती हैं और सामूहिक रूप से चंद्रमा की पूजा करती हैं। यह त्योहार महिलाओं के बीच एकता और आपसी सहयोग का प्रतीक भी है।
इस दिन महिलाएं व्रत का समापन चंद्रमा को देखकर और उसकी पूजा करके और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर करतीं हैं।
करवा चौथ 2024 में 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए विशेष होता है, क्योंकि वे अपने पति की लंबी आयु और
समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।
समय और विधि:
– चतुर्थी तिथि : 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को सुबह 4:16 बजे समाप्त होगी।
– व्रत का समय : सुबह 6:25 बजे से लेकर रात 7:54 बजे तक, कुल 13 घंटे 29 मिनट
– पूजा का मुहूर्त : 20 अक्टूबर को शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 बजे तक।
– चंद्रोदय का समय : रात 7:54 बजे (नई दिल्ली समय)।
पूजा विधि क्या होती है करवाचौथ के लिए ?
पूजा के लिए विवाहित महिलाएं सरगी के रूप में सूर्योदय से पहले भोजन करती हैं। दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत समाप्त करती हैं। पूजा के दौरान शिव परिवार की पूजा की जाती है, और चंद्रमा को अर्घ्य देकर विशेष मान्यता दी जाती है।
क्या करवा चौथ कुंवारी लड़कियां भी कर सकतीं हैं?
ये हाँ , ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी कर सकती हैं। कुंवारी लड़कियाँ अच्छे वर या मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए ये व्रत कर सकतीं हैं। वे जीवन में सुख-शांति के लिए ये व्रत कर सकतीं हैं।
Disclaimer : यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी है और लोक मान्यताओं पर आधारित है। kabartimes24 किसी भी बात की पुष्टी नहीं करता ।