(Patna Dakbangla Chauraha) पटना का डाकबंगला एक ऐसा जगह जहाँ 60 साल से ज्यादा से दुर्गापूजा पंडाल का भव्य नजारा देखने को मिल रहा है।
यहाँ पर 61वा साल का पंडाल का आयोजन 2024 में किया गया है। पटना के डाकबंगला चौराहा पर हर साल दुर्गापूजा पर माता की भव्य प्रतिमा राखी जाती है , ठीक वैसे ही इस बार भी भव्य पंडाल बनाया गया है। इस बार पंडाल आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के थीम पर पंडाल को बनाया गया है। नवयुवक संघ श्री दुर्गापूजा समिति ट्रस्ट द्वारा पंडाल का भव्य आयोजन किया गया है। दुर्गापूजा समिति ने बताया कि माता की मूर्ति को जागृत अवस्था में स्थापित किया गया है जैसे माता भक्त को प्रत्यक्ष रूप से आशीर्वाद दे रही हैं। पूजा के लिए प्रसाद को शुद्ध देशी घी में बनाया जाता है।
माता को हर दिन अलग अलग भोग चढ़ाया जाता है। सप्तमी के दिन माता को शुद्ध देशी घी में बना हलवा चढ़ाते हैं, अष्टमी को खीर का और नवमी को खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है। पूजा के लिए जल गंगोत्री, प्रयागराज व वाराणसी से मंगाया जाता है। यहाँ पर सप्तमी के दिन सुबह से ही भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। माता के दर्शन के लिए प्रशासन की तैनाती सुरक्षा के लिए हर वक्त मौजूद रहती है। प्रसाद का वितरण अगले दिन चार बजे तक रहता है।
PHOTO: पटना के डाकबंगला भव्य पंडाल
पटना के डाकबंगला चौराहा पर हर साल दुर्गापूजा पर माता की भव्य प्रतिमा राखी जाती है , ठीक वैसे ही इस बार भी भव्य पंडाल बनाया गया है। इस बार पंडाल आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के थीम पर पंडाल को बनाया गया है। नवयुवक संघ श्री दुर्गापूजा समिति ट्रस्ट द्वारा पंडाल का भव्य आयोजन किया गया है। दुर्गापूजा समिति ने बताया कि माता की मूर्ति को जागृत अवस्था में स्थापित किया गया है जैसे माता भक्त को प्रत्यक्ष रूप से आशीर्वाद दे रही हैं। पूजा के लिए प्रसाद को शुद्ध देशी घी में बनाया जाता है।
माता को हर दिन अलग अलग भोग चढ़ाया जाता है। सप्तमी के दिन माता को शुद्ध देशी घी में बना हलवा चढ़ाते हैं, अष्टमी को खीर का और नवमी को खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है। पूजा के लिए जल गंगोत्री, प्रयागराज व वाराणसी से मंगाया जाता है। यहाँ पर सप्तमी के दिन सुबह से ही भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। माता के दर्शन के लिए प्रशासन की तैनाती सुरक्षा के लिए हर वक्त मौजूद रहती है। प्रसाद का वितरण अगले दिन चार बजे तक रहता है।
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