शारदीय नवरात्री (Shardiya Navratri 2024) हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस साल शारदीय नवरात्री 3 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी जो की 12 अक्टूबर तक रहने वाला है।नव दिनों तक चलने वाला ये महापर्व माँ दुर्गा के आराधना में समर्पित होता है। इन नव दिनों के अंतर्गत माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।हिन्दू पंचांग के अनुसार ,आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्री आरम्भ हो जाते है। हर साल की तरह इस साल भी नवरात्री काफी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन कलश स्थापना करने के साथ अखंड ज्योति जलाई जाएगी। इसके साथ -साथ माँ दुर्गा के पहले स्वरुप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाएगी ।
नवरात्री का पहला दिन।
नियम क अनुसार नवरात्री के पहले दिन कलश की अस्थापना की जाती है जिसको माता की चौकी बैठाना भी कहते हैं। माँ शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहते हैं। कहा जाता है की माँ शैलपुत्री की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। आज के दिन मंदिरो में और पूजा घरों में सफाई कर माता की चौकी सजाई जाती है। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर माँ शैल पुत्री की प्रतिमा को रखते हैं तथा माँ को फल,फूल समर्पित किये जाते हैं। और फिर माँ की आरती कर पूजा संपन्न किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि माँ शैलपुत्री को सफ़ेद रंग प्रिये होता है इसलिए आज के दिन उजला व सफ़ेद कपड़ा पहन कर पूजा करने से माँ खुश होती हैं।
माँ शैलपुत्री का स्वरुप केस होता हैं ?
पौराणिक कथाओ के अनुशार यह मन जाता है की माँ शैलपुत्री वृषभ पर सवार होतीं हैं और दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए रहतीं हैं। माँ सैलपुत्री को शांत, सरल, सुशिल और दया की देवी भी कहा जाता हैं।
और इस तरह से नवरात्री का पहला दिन मनाया जाता है।