कौन हैं प्रशांत किशोर जो बिहार की राजनीति में अलग पहचान बना रहे हैं। ?
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बिहार की राजनीति में एक प्रमुख रणनीतिकार और राजनीतिक सलाहकार हैं। उन्होंने विभिन्न चुनाव अभियानों में अपनी रणनीति के लिए प्रसिद्धि पाई है। बिहार में उनका राजनीतिक सफर मुख्य रूप से 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और महागठबंधन (जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस) की जीत से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।
प्रशांत किशोर का बिहार की राजनीति में सीधा प्रवेश तब हुआ जब 2018 में नीतीश कुमार ने उन्हें जनता दल (यूनाइटेड) का उपाध्यक्ष बनाया। लेकिन, 2020 में राजनीतिक मतभेदों के चलते जेडीयू से उनका नाता टूट गया। इसके बाद, प्रशांत किशोर ने बिहार में अपनी नई पहल, जन सुराज अभियान, की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य बिहार की राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाना और आम जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है।
किशोर को उनकी रणनीतिक सोच और चुनावी अभियानों में गहन विश्लेषण के लिए जाना जाता है।
Prashant Kishor Photo
प्रशांत किशोर का जन्म और माता-पिता।
प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के कोनार गाँव में 1977 को हुआ था। बाद में वे बक्सर चले गए जहाँ से उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। उनके पिता का नाम जन्म श्रीकांत पांडे था जो पेशे से एक चिकित्सक थे और माता सुशीला पांडेय जो एक गृहणी थीं
कौन हैं प्रशांत की पत्नी और क्या करतीं हैं ?
प्रशांत किशोर ने असम के गुहाटी की रहने वाली जाह्नवी दास से हुई है जो की पेशे से डॉक्टर हैं।इन दोनों का एक बेटा भी है।
कितने पढ़े-लिखे हैं प्रशांत किशोर ?
Prashant Kishor Education : बिहार के राजनीती में नया चेहरा प्रशांत किशोर का नाम लोगों के बिच बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। हाल ही में उन्होंने 2 अक्टूबर गाँधी जयंती के अवसर पर उन्होंने जन सुराज (जान सूरज)के नाम से अपनी पार्टी का एलान किया है। आइये जानते हैं जानते हैं कितने पढ़े लिखे हैं जान सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) के संस्थापक प्रशांत किशोर। प्रशांत किशोर ने हल ही में एक मिडिया संस्थान को इंटरव्यू देते हुए कहा कि वे गणित में काफी तेज थे और इसलिए उनके घरवाले चाहते थे की वे इंजीनियरिंग करे लेकिन प्रशांत किशोर का मन नहीं था इसलिए उन्होंने इंजीनियरिंग नहीं किया। वे बताते हैं की उन्होंने पढ़ाई लगातार नहीं की बल्कि उन्होंने कई बार ड्रॉप भी लिया। दशवीं के बाद उन्होंने दो साल का गैप लिया और दिल्ली से हिन्दू कॉलेज से स्नातक करते समय भी तबियत ख़राब होने के कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा हालाँकि बाद में उन्होंने स्नातक की डिग्री हाशिल की। अपनी स्कूली पढ़ाई उन्होंने बक्सर में ही रहकर की है। बक्सर में Prashant Kishor के पिताजी की पोस्टिंग थी और वे वहां डॉक्टर के रूप में वहां काम कर रहे थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई अधूरी रह जाने के बाद वो लखनऊ और फिर हैदराबाद गए। जहां से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। जिसके बाद उन्होंने UN के साथ काम किया और वो कई अलग-अलग पोस्ट पर रहें और देश-विदेश में काम किया। https://en.wikipedia.org/wiki/Prashant_Kishor यहाँ से भी प्रशांत किशोर के बारे में पढ़ सकते हैं।
प्रशांत किशोर का राजनीतिक जीवन की शुरआत।
नरेंद्र मोदी की पहली बड़ी जीत (2012-2014)। प्रशांत किशोर का पहला महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रयास गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था। उन्होंने 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के लिए एक प्रभावी चुनाव योजना बनाई, जिसने मोदी की राजनीतिक छवि को बढ़ाया। इसके बाद उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए “चाय पर चर्चा” और “3डी रैली” जैसी नई रणनीतियों और अवधारणाओं को अपनाया। इस चुनाव में भाजपा की भारी जीत के बाद, नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। 3. जेडीयू और बिहार विधानसभा के चुनाव (2015)। प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी के लिए चुनाव योजना का मसौदा तैयार करने के लिए 2015 में भाजपा छोड़ दी। उनके नेतृत्व में बिहार महागठबंधन ने भाजपा को शानदार जीत दिलाई। इस जीत ने प्रशांत किशोर की प्रतिष्ठा को बढ़ाया और उन्हें एक शानदार रणनीतिकार के रूप में स्थापित किया।
कांग्रेस पार्टी के साथ (2017)।
प्रशांत किशोर को कांग्रेस ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपनी चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए चुना था। इस चुनाव में, उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को गठबंधन बनाने में मदद की, लेकिन दोनों पार्टियों को अपेक्षित स्तर की सफलता नहीं मिली। लेकिन पंजाब विधानसभा चुनावों में, जिसमें कांग्रेस पार्टी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की, उन्होंने इस दौरान पार्टी के लिए काम किया।
आंध्र प्रदेश और वाईएसआर कांग्रेस (2019)।
2019 में, आंध्र प्रदेश स्थित वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी ने प्रशांत किशोर से अपनी चुनावी योजना का मसौदा तैयार करवाया था। इस चुनाव में, वाईएसआर कांग्रेस की भारी जीत के बाद जगनमोहन रेड्डी को राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया। उनके दृष्टिकोण का एक और उल्लेखनीय उदाहरण यह था।
पश्चिम बंगाल और तृणमूल कांग्रेस (2021)
2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी के लिए रणनीति तैयार की। भाजपा के साथ कड़ी टक्कर के बावजूद TMC ने चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया। इस चुनाव के बाद प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि वे चुनावी रणनीतिकार के रूप में सक्रिय राजनीति से अलग हो जाएंगे, लेकिन उनके इस निर्णय पर कई अटकलें भी लगीं।
बिहार में जन सुराज अभियान
चुनावी रणनीति में अपनी सफलताओं के बाद प्रशांत किशोर ने 2022 में बिहार में ‘जन सुराज’ अभियान शुरू किया, जो बिहार की राजनीति में नई संभावनाओं को खोलने की दिशा में था। उन्होंने इस अभियान के तहत बिहार में जनसंवाद की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया और अपनी एक स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने का प्रयास किया।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर का करियर भारतीय राजनीति में चुनावी रणनीतिकार के रूप में अद्वितीय और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने तकनीक और जनसंपर्क को चुनावों में एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उनके चुनावी अभियान के दौरान अपनाए गए नवाचारी विचारों और रणनीतियों ने उन्हें एक सफल राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में पहचान दिलाई।